आखिर किसको मिलेगी देशबंधु कॉलेज के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी?

कल का दिन दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव का दिन है. एक तरफ DUSU चुनाव में जहाँ उम्मीदवार पूरा जोर लगाये हुए हैं वहीं कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव के लिए रस्साकसी जारी है.

ऐसे में दक्षिणी दिल्ली में स्थित देशबंधु कॉलेज का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है. चूंकि देशबंधु कॉलेज में छात्रों की संख्या अधिक होने के कारण इसे छोटा DUSU कहा जाता है इसलिए सबकी नजर देशबंधु कॉलेज पर टिकी हुई है.
देशबन्धु कॉलेज में अध्यक्ष पद का चुनाव दिलचस्प हो चला है क्योंकि यहाँ प्रत्याशी पियूष पाण्डेय और प्रगति सेंगर अपनी अपनी दावेदारी करते नजर आ रहे हैं. हालाँकि जानकारों का मानना है कि मुकाबला एकतरफा है.

लोगों का कहना है कि जहाँ एक तरफ प्रगति सेंगर के समर्थक अपने चुनावी अभियान के लिए पुराने और पढकर निकल चुके पूर्व नेताओं से वीडियो के जरिये समर्थन की अपील करवा रहे हैं, वहीं पीयूष पाण्डेय को कॉलेज में वर्तमान में पढ़ रहे आम छात्रों का भारी समर्थन मिल रहा है.

चूंकि पीयूष पाण्डेय के सभी समर्थक अभी वर्तमान में महाविद्यालय के मतदाता भी हैं इसलिए पियूष पाण्डेय का पड़ला भारी माना जा रहा है, शायद यह बात उनके विरोधियों को भी पता है और आम छात्र प्रगति सेंगर के समर्थन में उतना नजर नहीं आ रहे हैं शायद इसलिए वह बाहर के लोगों से अपील करवा रहे हैं.

ऐसे में आइये जानते हैं कि कॉलेज में दोनों की जीत के मायने क्या हैं?

जैसा कि देशबन्धु कॉलेज अपनी गुटबाजी राजनीति के लिए काफी समय से प्रसिद्ध रहा है. ऐसे में ऐसी गुटबाजी राजनीति को 2017 में परास्त करने वाले और फिर 2018 में फिर से ऐसे ही अध्यक्ष बने क्रमशः देवेश तिवारी और दीपक सिकरवार दोनों ही पियूष पाण्डेय के समर्थन में हैं. ये दोनों बीएससी फिजिकल साइंस और पोलिटिकल साइंस ओनर्स के छात्र रहे हैं.

देवेश तिवारी वो अध्यक्ष हैं जिन्होंने कॉलेज मैं अध्यक्ष पद के लिए द्वितीय और तृतीय वर्ष के छात्रों के लिए आरक्षित करवाया था जिसके कारण से आम छात्रों ने चुनाव लड़ने का सपना देखना शुरू किया. देवेश तिवारी के इस कदम को कॉलेज के प्राध्यापकों से लेकर, छात्र तक काफी सराहते हैं.

ऐसे में देवेश तिवारी और दीपक सिकरवार दोनों का पीयूष के समर्थन में आ जाना साबित करता है कि आम छात्र के हाथ में कमान जाए ऐसा ये दोनों चाहते है.

सूत्रों की मानें तो कॉलेज में प्राध्यापकों का एक बड़ा तबका भी चाहता है कि कॉलेज का माहौल सुरक्षित और गैर राजनितिक बना रहे.

दूसरी तरफ प्रगति को समर्थन करने वाले लोगों को थोडा संघर्ष करना पड़ रहा है क्योंकि प्रगति के समर्थन में कई ऐसे लोग हैं जिनको इस कॉलेज में चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा है. प्रगति के समर्थन में एक ऐसी पूर्व प्रत्याशी भी हैं जिनको गत वर्ष बहुत अधिक वोटों से छात्रों से चुनाव हराया था.

लेकिन, समर्थक दोनों ही प्रत्याशियों के काफी उत्साहित हैं. ऐसे में अब फैसला तो छात्रों के हाथों में हैं.

वैसे जानकारों का कहना है कि अगर छात्र अच्छी संख्या में वोट करने आ गये तो पीयूष पांडेय की जीत सुनिश्चित है.

लेकिन अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. अंतिम परिणाम तो कल दोपहर बाद ही पता चलेगा.

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