मुम्बई पुलिस ने 8 अक्टूबर को TRP के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप में, चार लोगों को गिरफ्तार किया है। जिसके बाद ये बात सामने आई है कि तीन टीवी चैनलों – रिपब्लिक टीवी, बॉक्स सिनेमा और फ़ख्त मराठी ने TRP रेटिंग के साथ हेरफेर की है। इसी हेराफेरी के आरोप में उनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज हुई है।
आइए जानते हैं, आखिर ये TRP है क्या? और इसमें हेरफेर करने से इन लोगों को क्या फायदा होगा।
TRP क्या है?
Television Rating Point को शॉर्ट फॉर्म में हम TRP कहते हैं। इससे पता चलता है कि किसी चैनल या कार्यक्रम को कितना पसन्द किया जा रहा है। उसे कितने लोग देख रहे हैं। किसी कार्यक्रम की TRP अगर ज्यादा है, तो इसका मतलब उसे ज्यादा लोग देख रहे हैं। ज्यादा लोग देखेंगे, तो कार्यक्रम ज्यादा पॉपुलर होगा और कार्यक्रम को फायदा होगा।
TRP कौन Calculate करता है?
वर्तमान में इसकी गणना का कार्य Indian National Television Audience Measurement (INTAM) और Broadcast Audience Research Council (BARC). इसके अलावा Doordarshan Audience Research Team (DART) ग्रामीण क्षेत्रों की रेटिंग की गणना करता है। इसमें BARC प्रमुख है। ये दुनिया की सबसे बड़ी संस्था है जो ये कार्य करती है। इसकी रेटिंग बेहद मायने रखती है।
TRP कैसे निकाली जाती है?
इसका पता कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से होता है। इसकी गणना करने के तीन प्रमुख तरीके प्रचलित हैं –
People’s Meter Method
कुछ एजेंसियाँ इस तरीके का प्रयोग करती हैं। इसमें एक गैजेट का प्रयोग किया जाता है। इसे एक तय संख्या में कुछ घरों के टीवी से जोड़ा जाता है। ये एक प्रकार का सैंपल साइज सर्वे होता है। ये उपकरण एक निश्चित दिन पर समय और कार्यक्रम की जानकारी को रिकॉर्ड करता है। इसके बाद साप्ताहिक अथवा मासिक आधार पर इसका औसत (Average) निकाला जाता है। ये रिकॉर्ड हुई जानकारी एजेंसी में पहुँचती है, जिससे हमें किसी कार्यक्रम की TRP का पता चलता है।
Picture Matching Method
ये पिछले वाले तरीके से काफी अधिक विश्वसनीय और सटीक माध्यम है। इसमें People’s Meter किसी भी टीवी पर देखे जाने वाले कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें लेता है। जिससे हमें पता चलता है कि उस टीवी सेट पर कौन-सा कार्यक्रम देखा जा रहा है। ये पिक्चर का डेटा एकत्रित होता है, जो कि राष्ट्रीय स्तर पर TRP की गणना में काम आता है।
Audio Watermark
इस तरीके में वीडियो ब्रॉडकास्ट होने से पूर्व उसमें एक ऑडियो वॉटरमार्क लगाया जाता है। जिसे सामान्य व्यक्ति अपने कानों से नहीं सुन सकता है। ये ऑडियो वॉटरमार्क बाद में डिटेक्ट और डिकोड करके दर्शकों की संख्या का पता लगाया जाता है।
इसका सैंपल साइज कितना होता है?
BARC अभी तक 44 हज़ार के सैंपल साइज का डेटा इकट्ठा करती है, लेकिन TRAI के सुझाव के अनुसार उन्हें 2020 के अंत तक इस सैंपल साइज को 60 हज़ार तक बढ़ाना होगा।
TRP कम या ज्यादा होने से क्या होगा?
TRP से हमें पता चलता है कि कितनी ज्यादा या कम संख्या में लोग किसी कार्यक्रम को देख रहे हैं। अंततः टीवी पर दिखाए जाने वाले किसी भी कार्यक्रम की आय उसे मिलने वाले विज्ञापन से ही होती है। जितनी ज्यादा टीआरपी किसी कार्यक्रम की होगी, उतने ज़्यादा ही उसे विज्ञापन मिलेंगे। निवेशक भी TRP के आधार पर ही किसी कार्यक्रम को चुनते हैं।
टीआरपी अगर कम होगी तो कार्यक्रम को किसी भी विज्ञापन के लिए कम पैसे मिलेंगे। विज्ञापन का रेट प्रति सेकंड के आधार पर तय होता है। जितनी ज्यादा होगी, विज्ञापनों के “प्रति सेकंड” रेट उतने ही अधिक होंगे और कार्यक्रम को उतना ही अधिक मुनाफा होगा।