“छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल को लेकर कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने चला ऐसा ‘मास्टरस्ट्रोक’ जिसके चलते विरोधी खेमे में मचा है हड़कंप”
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2019 से पहले पांच राज्यों में एक साथ विधानसभा चुनाव होने हैं. एक तरफ कांग्रेस पार्टी केंद्र में वापसी की तरफ बढ़ रही है तो वहीं भाजपा पुनः सत्ता में स्थापित होने के लिए पूरा जोर लगा रही है.
ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दिन- रात मेहनत करके कुशल रणनीति के साथ पार्टी में एक नई जान फूंकने में लगे हैं.
इसका प्रमाण अभी हाल में ही राहुल गांधी के एक नये राजनीतिक कुशलता से परिपूर्ण निर्णय ने दिया है.
दरअसल हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ की जहाँ 2003 के बाद से लगातार भाजपा सत्ता में काबिज है और डॉ रमन सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं.
विगत 2013 विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस की वापसी लगभग तय ही मानी जा रही थी उसी समय कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता एक सामूहिक नक्सली हमले में मारे गये, जिसके चलते कांग्रेस की छत्तीसगढ़ इकाई नेतृत्व शून्य हो गयी.
ऐसे में राहुल गांधी ने पूर्व परिवहन एवं राजस्व मंत्री रहे द्वितीय पंक्ति के नेता भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ की कमान सौंप दी.
भूपेश बघेल एक आक्रामक छवि के नेता हैं यही कारण है कि लगातार 5 वर्षों से राहुल गांधी ने अपना भरोसा उन पर बरकरार रखा है और इसी के साथ भूपेश बघेल सबसे अधिक समय तक प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहने वाले व्यक्ति भी बन गये हैं.
अब बात राहुल गांधी के मास्टरस्ट्रोक की-
जैसे ही चुनाव आयोग ने चुनावी तारीखों का ऐलान किया, सभी दल चुनावी तैयारियों में जुट गये.
हालाँकि राजस्थान और मध्यप्रदेश में चुनावी माहौल पहले से ही बना हुआ था लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा उस स्तर पर नहीं देखा गया था.
छत्तीसगढ़ चुनावों में कांग्रेस और भाजपा द्वारा कुछ प्रत्याशियों का ऐलान होने के बाद भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेता जमीन पर उतरकर प्रचार में जुट गये लेकिन कांग्रेस का छत्तीसगढ़ में मुख्य चेहरा भूपेश बघेल जमीन पर कहीं नजर नहीं आ रहे थे.
बस, इसी के पीछे थी राहुल गाँधी की वो राजनैतिक कुशलता जिसे अब ‘मास्टरस्ट्रोक’ कहा जा रहा है-
दरअसल पिछले कुछ चुनावों में राहुल गांधी समझ चुके थे कि यदि आपके पास कोई आक्रामक और प्रभावी नेता है तो उसे चुनावी मैदान में उस समय उतरना चाहिए जब चुनावी माहौल अपने चरम पर हो, जैसा कि गुजरात और उत्तरप्रदेश के चुनाव में भाजपा द्वारा नरेंद्र मोदी को अंतिम दौर में चुनाव मैदान में उतारकर किया गया.
यही कारण था कि राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ पीसीसी चीफ भूपेश बघेल को दिल्ली में ही व्यस्त रखा और प्रथम चरण के चुनाव से ठीक 12 दिन पहले ही प्रत्याशियों के नाम की अंतिम मोहर लगाकर भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ वापस भेज दिया है, इससे पहले राहुल गाँधी ने पार्टी के अन्य नेता जो किसी न किसी क्षेत्र में अपना प्रभाव रखते हैं जैसे नेता प्रतिपक्ष टी. एस. सिंह देव, चरण दस महंत इत्यादि को प्रचार करने के लिए कहा था.
ऐसे समय में प्रत्याशियों की नामांकन रैलियों में जाकर एवं चुनावी सभाओं को सम्बोधित करके इन नेताओं ने छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में चुनावी माहौल कांग्रेस के पक्ष में बना दिया है.
सूत्रों के अनुसार अब राहुल गाँधी ने भूपेश बघेल को आदेशित किया है और कहा है कि जाइए अब आपका प्रचार का समय शुरू हो गया है.


यही कारण है कि गुरुवार सुबह रायपुर पहुँचते ही पीसीसी चीफ हैलीकॉप्टर पकड़कर सीधे चुनावी सभाओं के लिए रवाना हो गये.
भूपेश ने गुरुवार को 3 जनसभाओं को सम्बोधित किया एवं समापन मुख्यमंत्री रमन सिंह की विधानसभा राजनांदगांव पहुंचकर किया जहाँ से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला कांग्रेस की प्रत्याशी हैं.
कहा जा रहा है कि भूपेश बघेल के मैदान पर उतरते ही कांग्रेस के कार्यकर्ता अति उत्साहित हैं और यह उत्साह और ऊर्जा रैलियों में आई भीड़ में साफ़ देखी जा सकती है.
चूंकि भूपेश बघेल स्वंय भी पाटन विधानसभा से उम्मीदवार हैं इसलिए शुक्रवार सुबह वह नामांकन दाखिल करने के लिए सभी क्षेत्रीय प्रत्याशियों के साथ निकले. उनके नामांकन में शामिल होने के लिए राज्यसभा सांसद एवं छत्तीसगढ़ प्रभारी पी. एल. पुनिया भी गुरुवार देर रात रायपुर पहुँचे हैं.
3 नवम्बर से भूपेश बघेल और प्रभारी पी एल पुनिया दो दिवसीय बस्तर दौरे पर जा रहे हैं चूंकि यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित है इसलिए यहाँ 12 नवम्बर को चुनाव होना है.
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अपने सबसे आक्रामक छवि के नेता को अंतिम समय में उतारने की यह राहुल गांधी की रणनीति कितनी कामयाब होगी!!
लेकिन यह सच है, कि भूपेश बघेल के जमीन पर उतरने से कार्यकर्ताओं में एक ऊर्जा का संचार देखा जा रहा है.
