वर्ष 2016 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रयोग किए गए कंडोम और प्रेगनेंसी टेस्ट किट की हजारों में संख्या बता कर चर्चा में आने वाले BJP के रामगढ़ विधानसभा से विधायक ज्ञानदेव आहूजा का टिकट काटने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। हालांकि, इस विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला है। जिसे लेकर वे नाराज भी थे।
आहूजा बने भाजपा उपाध्यक्ष
दरअसल, ज्ञानदेव आहूजा का टिकट कटने के बाद उन्होंने बगावती तेवर अपना लिए थे। उन्होंने सांगानेर विधानसभा से निर्दलीय पर्चा भर दिया था, लेकिन अपने बागी नेताओं को समझाने और साधने में जुटी भाजपा ने ज्ञानदेव आहूजा को प्रदेश उपाध्यक्ष बनाकर अपने पाले में कर लिया और इसके बाद उन्होंने अपना नामांकन भी वापस ले लिया। यहां यह बताते चलें की टिकट ना मिलने के कारण नाराज ज्ञानदेव आहुजा ने बीते रविवार बीजेपी से त्यागपत्र देकर निर्दलीय नामांकन भर दिया था। इसके बाद बुधवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उनसे मुलाकात की और उन्हें नामांकन वापस लेने के लिए कहा। इसके एवज में उन्हें प्रदेश भाजपा का उपाध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया।
ज्ञानदेव आहूजा अभी अलवर की रामगढ़ विधानसभा से विधायक है। जयपुर के सांगानेर विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरते समय ज्ञानदेव आहूजा ने कहा था कि वह गौरक्षा, राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण और हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे। नामांकन वापसी की अंतिम तिथि गुरुवार को समाप्त हो गई। चुनाव आयोग के अनुसार बीते गुरुवार तक प्रदेश भर के लगभग 579 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया।
पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान
ज्ञानदेव आहूजा अपने विवादित बयानों के चलते हमेशा चर्चा में बने रहे हैं। चाहे वह JNU में कंडोम और प्रेगनेंसी किट की संख्या बताने वाला बयान हो या जवाहरलाल नेहरू को गाय और सुअर खाने वाला बताने का बयान रहा हो। इस प्रकार के बेहद विवादित और आपत्तिजनक बयानबाजी के बाद जब बीजेपी ने ज्ञानदेव आहूजा का टिकट काटा था। तब ऐसा लगा था कि पार्टी ने उन पर उनके बयानों को लेकर कार्यवाही की है, लेकिन इसके बाद अब उन्हें मना कर पार्टी में वापस लाया गया और प्रदेश भाजपा का उपाध्यक्ष बना दिया गया।
Reported by : Neerja ( @NeerjaChowdhry )