महादेव की पूजा करते समय बेलपत्र का एक विशेष महत्व होता है। खासतौर पर सावन के पावन महीने में भोलेनाथ पर गंगाजल के साथ बेल पत्र चढ़ाना अति शुभ माना जाता है। भोलेनाथ की जब भी कभी विशेष पूजा-अर्चना होती है, तब शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, महादेव को प्रसन्न करने वाला बेलपत्र उनको नाराज भी कर सकता है।
जी हां, आपने सही सुना, शिवपुराण के मुताबिक कुछ ऐसी तिथियां या दिन होते हैं, जिनमें बेलपत्र को तोड़ना अशुभ माना जाता है। उनमें से एक सोमवार का दिन भी है, लेकिन सावन में महादेव को ताजे बेलपत्र चढ़ाने के चक्कर में कई लोग सोमवार को ही बेलपत्र तोड़ते हैं, जोकि गलत है। कहते हैं कि ऐसा करने से महादेव प्रसन्न होने की बजाय नाराज हो जाते हैं, इसीलिए आप रविवार को बेलपत्र तोड़कर रख लें और सोमवार के दिन शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं।
बेलपत्र की उत्पत्ति की कथा
बैलपत्र के पत्ते, फल और पेड़ बहुत पूजनीय है। बेलपत्र के बारे में कहा गया है कि “दर्शनम् बिल्व पत्रस्य, स्पर्शनमं पाप नाशनम्” यानी कि बेलपत्र के दर्शन मात्र से सारे पापों का नाश हो जाता है। इसको लेकर एक कथा प्रचलित है। स्कंद पुराण में बेलपत्र की उत्पत्ति की कथा के बारे में बताया गया है। जिसके अनुसार एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर जा गिर थी। जिससे बेल का पेड़ निकला था।
कहते हैं कि माता पार्वती के पसीने से बेल के पेड़ का उद्भव हुआ, इसीलिए इसमें माता पार्वती के सभी रूप बसते हैं। माता पार्वती जहां बेलपत्र के पेड़ की जड़ में गिरिजा के स्वरूप में, इसके तनों में माहेश्वरी के स्वरूप में और शाखाओं में दक्षिणायनी और बेलपत्र की पत्तियों में पार्वती के रूप में बसतीं हैं। वहीं फलों में कात्यायनी स्वरूप व फूलों में गौरी स्वरूप का निवास होता है। इन सब के अलावा मां लक्ष्मी का रूप समस्त वृक्ष में निवास करता है।
बेलपत्र में माता पार्वती का प्रतिबिंब होता है, इसीलिए इसे भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है। भगवान शिव पर बेल पत्र चढ़ाने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और भक्त की सारी मनोकामना पूर्ण करते हैं। जो व्यक्ति किसी तीर्थस्थान पर नहीं जा सकता है, यदि वह श्रावण मास में बेलपत्र के पेड़ के मूल भाग की पूजा करके उसमें जल अर्पित करे, तो उसे सभी तीर्थों के दर्शन के बराबर का ही पुण्य मिलता है।
पुराणों में महत्व
पुराणों के अनुसार, जहां पर बहुत सारे बेलपत्र के पेड़ होते हैं। वह स्थान काशी के समान पवित्र हो जाता है। वहां हर रोज शिवलिंग की पूजा करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। जीवन की सभी परेशानियों का अंत होने लगता है। शास्त्रों मे बेलपत्र के लिए कहा गया है कि यदि आपके पास शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए बेलपत्र नहीं है, तो आप किसी मंदिर से दूसरों द्वारा चढ़ाए गए बेलपत्र को लेकर धो लें। फिर उसको भगवान शिव पर चढ़ा दें। तो ये उतना ही पूजनीय माना जाता है, जितना कि कोई कोरा बेलपत्र।
चमत्कारी गुण
इसके साथ ही आपको बता दें कि बेल पत्र छः महीने तक बासी नहीं होता है। घर के आंगन में बेल पत्र का पेड़ लगाने से घर पापनाशक और यशस्वी हो जाता है। अगर पेड़ घर के उत्तर-पश्चिम में लगा हो तो इससे यश बढ़ता है। वहीं घर के उत्तर-दक्षिण में पेड़ हो तो सुख-शांति बढ़ती है और बीच में हो तो मधुर जीवन बनता है। स्कंद पुराण के मुताबिक रविवार और द्वादशी के दिन बेलपत्र के पेड़ का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप से छुटकारा मिलता है। बेल पत्र का पेड़ लगाने से घर की दरिद्रता दूर होती है और लक्ष्मी का आगमन होता है।
इन तिथियों में तोड़ना है वर्जित
कभी भी चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति और सोमवार को या किसी भी दिन दोपहर के बाद बेलपत्र तोड़ना अशुभ माना जाता है। इन तिथियों को बेलपत्र तोड़ने से भगवान भोलेनाथ नाराज हो जाते हैं, इसलिए इन तिथियों को बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। यदि आप भी भोलेनाथ को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इन तिथियों में बेलपत्र तोड़ने से बचें।
चमत्कारी है चार पत्तियों वाला बेलपत्र
इन सब के अलावा सावन में भोलेनाथ को अर्पित करने के लिए तीन पत्तियों वाले बेल पत्र तो आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन चार पत्तियों वाला बेलपत्र बहुत ही चमत्कारी और अद्भुत होते हैं। इसीलिए यह चार पत्तियों वाले बेलपत्र बहुत दुर्लभ माना जाता है और इतनी आसानी से भी नहीं मिलता। कहते हैं कि चार पत्तियों वाले बेल पत्र में अगर राम का नाम लिखकर, उसे भोलेनाथ को अर्पित किया जाए, तो महादेव उसको मनचाहा वरदान देते हैं। उस व्यक्ति के जीवन में कभी कोई दुख नहीं आता।