हर मां अपने नवजात शिशु की देखभाल में कोई कमी नहीं छोड़ती। बच्चे को कब भूख लगी है औऱ शिशु कब सोना चाहता है मां केवल उसकी आंखों को देखर की समझ जाती है। लेकिन वो शायद ये नहीं समझ पाती कि डायपर का ज्यादा इस्तेमाल उसके बच्चे की जान खतरे में डाल सकता है। शायद आपको जानकर हैरानी हो। लेकिन इस बात में सौ फीसदी सच्चाई है कि डापयपर से होने वाले रैसेज़ कई प्रकार के घातक इनफेक्शन का रूप ले सकते हैं। जो आपके बच्चे के लिए खतरा बन सकता है।
क्या होता है डायपर रैश?
डायपर पहनने के कारण बच्चों को रैशेज हो जाते हैं। ये डायपर रैश कभी भी हो सकते हैं खासकर 4 से 15 महीने के बच्चों में इस तरह की एलर्जी होना आम बात है। लेकिन कई बार 4 महीने से कम उम्र के बच्चों में भी रैशेज होने की संभावनाएं हो जाती हैं। अब सबसे पहले आपको ये बता दें कि डायपर रैश होता क्या है, दरअसल डायपर रैश एक तरह की त्वचा संबंधित जलन होती है जो बैक्टीरियल या फंगल इन्फेक्शन की वजह से हो जाती है।
डायपर रैश के कारण
डायपर रैश के कई कारण हो सकते हैं जैसे-
1.‘गिलापन’, चाहे आप कितना भी गीलापन सोखने वाले डायपर बच्चे को पहनाती हों लेकिन फिर भी डायपर के आसपास गीलापन रह ही जाता है जो डायपर रैश का सबसे बड़ा कारण बनता है।
2.इसके अलावा रैश होने का कारण रासायनिक संवेदनशीलता भी है। बार-बार बच्चों की त्वचा का उसके डायपर से रगड़ खाने के कारण भी डायपर रैश हो जाते हैं। इसीलिए टाइट डायपर या ऐसे कपडे के इस्तेमाल से बचें जो बच्चे की त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती है।

3.इतना ही नहीं जिन बच्चों की त्वचा संवेदनशील होती है उनमें डायपर रैश होने की संभावनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। इसके अलावा अगर इन्हें एक्जिमा या अटोपिक डर्मेटाइटिस है तो डायपर रैश होने का खतरा और अधिक बढ़ जाता है।
4.कई बार ऐसा होता है कि हमारे बच्चे को डायपर रैश हो जाते हैं और हम उन्हे मामूली सा रगड़ समझकर नज़रअंदाज कर देते हैं। जो बाद में जाकर घाव या इंफेक्शन का कारण बन जाता है। ऐसे में बच्चों में होने वाले आम इन्फेक्शन और डायपर इन्फेक्शन में पहचान करना बेहद ज़रूरी है।
5.ध्यार रहे, अगर आपके बच्चे को डायपर रैशेज हैं तो वहां की त्वचा लाल रंग की दिखाई देगी। और जैसे-जैसे दिन बीतेगा इस इन्फेक्शन का आकार औऱ अधिक बढ़ता चला जाएगा।
6.इसके अलावा अलसर, ब्लिस्टर, पिंपल, बंप, या पस से भरी फुन्सिओं का होना भी डायपर इंफेक्शन का संकेत है। साथ ही कई बार इंफेक्शन के कारण बच्चे पेशाब करते समय जलन या दर्द का अनुभव करते हैं जिसे वो बयां नहीं कर सकते।

डॉक्टर से करें संपर्क
अगर आप अपने बच्चे के शरीर पर ध्यान रखें तो आप रैशेज को आसानी से देख पाएंगी जिसका उपचार आप घर पर भी कर सकते हैं। लेकिन अगर बच्चों में ये लक्षण गंभीर रूप में दिखाई देते हैं तो बिना देर किए आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
कुछ साल पहले की बात करें तो, मां-बाप छोटे बच्चों के लिए सूती कपड़े के घर पर बने नैपी पैड पहनाया करते थे जिन्हे बार-बार बदलना पड़ता था लेकिन इससे एक बात की तसल्ली तो होती थी कि बच्चे को कोई इंफेक्शन नहीं होगा। भले ही आज के समय में मां-बाप बच्चों को डायपर पहनाकर अपनी परेशानी को कुछ कम कर लेते हों लेकिन शायद उन्हें ये एहसास ही नहीं होता है कि इससे बच्चे को कितनी तकलीफ हो सकती है।
आगे पढ़ें-
- घर के मुख्य द्वार पर लगाएं ये एक चीज़, इतना आएगा पैसा की संभाल नहीं पाओगे
- दवाइयों से 100 गुना ज्यादा असरदार है सोंठ का लड्डू, डायबिटीज़, जुकाम, चेस्ट पेन को करे जड़ से गायब
- मात्र 7 दिनों में दूर होगा जोड़ों का दर्द, रोज़ाना इस तरह से करें नीलगिरी तेल का इस्तेमाल
- 7 दिनों में घटाएं 7 किलो वज़न, मात्र एक उपाय, जो है मोटापे का दुश्मन
- पूजा के समय आती है नींद, बुरे विचार और छींक, तो भगवान देते हैं ये 2 बड़े संकेत