आज हम बात करेंगे सर्दी के मौसम में बढ़ती गर्मी की। जी हाँ मैं चुनावी गर्मी की बात कर रहा हूँ। नेताओं का ट्रांसफर चालू है। कोई यहाँ से वहाँ जा रहा है, तो कोई वहाँ से यहाँ आ रहा है। इसी के बीच राजस्थान में एक नेता ऐसे भी है जो अपने गणित से JNU में लोहा मनवा चुके हैं। अब शायद आप कुछ समझ रहे होंगे या समझने की कोशिश कर रहे होंगे।
मैं बात कर रहा हूँ भाजपा के एक ऐसे नेता की जिन्होंने राजस्थान में बैठकर ही JNU के कॉन्डम गिनते हुए महान भारतीय गणितज्ञ आचार्य आर्यभट्ट को भी पीछे छोड़ दिया है। पर बिडम्बना देखिये, भारतीय जनता पार्टी को इतने महान गणितज्ञ और अर्थशास्त्री पर भरोसा ही नहीं रहा और चुनावी गर्मी में उनका टिकट काट दिया गया है। शायद अब आप समझ गए होंगे में उन्हीं की बात कर रहा हूँ जिनकी लंबी-लंबी वीरप्पन स्टाइल की मूंछे हैं। अब भी नहीं समझे तो अब समझ लीजिए, उनका नाम है ज्ञानदेव आहूजा। जिनके नाम में ही ज्ञान शब्द आता है, फिर भी भाजपा के हाई कमान ने उनकी टिकट काट दी है।
टिकट कटा, पर कुछ न घटा
टिकट कटते ही ज्ञानदेव अहूजा इतना तिलमिला गए कि निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। पर भाजपा भी कुछ कम नहीं है। जैसे ही भाजपा को पता चला की ज्ञानी बाबा उन्हें नुकसान पहुँचा सकते हैं, तभी भाजपा हाई कमान ने उन्हें राजस्थान भाजपा का उपाध्यक्ष बना दिया। पर मुझे लगता है ऐसे व्यक्ति को उपाध्यक्ष नहीं भारत सरकार में वित्त मंत्री बनाना चाहिए, क्योंकि इनका गणित बहुत तेज है। बिना देखे भी ये कुछ भी गिन लेते हैं।
नोटबंदी के नोट गिनने में RBI को मिलेगी मदद
मेरा ये भी मानना है कि इनको वित्त मंत्रालय इसलिए भी मिलना चाहिए क्योंकि जेटली ने नोटबन्दी की केतली डूबा दी है। नोटबन्दी का हिसाब-किताब आजतक गायब है। कितना काला धन वापस आया किसी को पता नहीं है। इसलिए मैं भारत सरकार से माँग भी करना चाहूंगा कि ज्ञानदेव अहूजा को भारत सरकार में वित्त मंत्रालय दिया जाए। पूरे देश को भी ज्ञानी बाबा से यही उम्मीद रहेगी कि जिस तेजी से उन्होंने JNU के कॉन्डम गिने थे, उसी तेजी को आगे बढ़ाते हुए नोटबन्दी में हुए फायदे या नुकसान का हिसाब-किताब जल्द लगाकर वो जनता के सामने सही आंकड़े रखेंगे।
चलिए आज की बात यहीं ख़त्म करते हैं, नहीं तो हमारा कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही ख़त्म हो जाने की सम्भावना अधिक बढ़ जाएगी।