हिंदू धर्म में अधिक मास के दौरान पड़ने वाली पूर्णिमा का बहुत ही महत्व होता है। इस बार अधिक मास पूर्णिमा बृहस्पतिवार 1 अक्टूबर 2020 को पड़ रही है। शास्त्रों की माने तो अधिक मास के दौरान पड़ने वाली इस पूर्णिमा तिथि का एक विशेष फल गेने वाली होती है। जिसमें जप-तप और पूजा-पाठ करने से कई गुना फल प्राप्त होता है । भगवान श्री हरि विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहती है।
मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति की सभी इच्छाएं भगवान श्री हरि विष्णु पूर्ण करते हैं। इतना ही नहीं इस दिन भगवान श्री नारायण के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से आपके घर में कभी भी धन की कमी नहीं रहती और सुख शांति हमेशा बनी रहती हैं । अधिक मास पूर्णिमा के दिन विधि विधान पूर्वक व्रत रखने और पूजा अर्चना करने से जीवन के सभी कष्ट और दुख मिट जाते हैं।
अधिक मास पूर्णिमा का महत्व
अधिक मास पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने और कथा सुनने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने से व्यक्ति के जीवन के सभी दोष दूर हो जाते हैं । वैसे तो अधिक मास की पूरे महीने ही भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा अर्चना करने का विधान है लेकिन अधिक मास पूर्णिमा के दिन यदि आप व्रत रख कर विधि विधान पूर्वक भगवान नारायण और माता लक्ष्मी के साथ भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की भी पूजा अर्चना करते हैं , तो आपके परिवार में आ रहे आर्थिक, सामाजिक या भौतिक समस्याएं दूर हो जाती हैं। सच्चे मन और श्रद्धा से की गई पूजा अर्चना से भगवान अवश्य प्रसन्न होते हैं और आपकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं। इतना ही नहीं माता पार्वती और लक्ष्मी जी आपको हमेशा सुखी और स्वस्थ जीवन जीने का आशीर्वाद देती है। इस दिन किए गए तप और व्रत के कारण व्यक्ति को मरने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। अधिक मास पूर्णिमा के दिन आपको अपने पितरों का ध्यान करते हुए या दान पुण्य करना चाहिए । ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका भी विशेष आशीर्वाद आपको प्राप्त होता है।
व्रत करने के नियम
1. अधिक मास पूर्णिमा के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान अवश्य करना चाहिए। यदि ऐसा संभव ना हो तो अपने नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल छिड़क कर उससे स्नान करना चाहिए। उसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए । ध्यान रहे इस दिन काले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए, बल्कि पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। पीला रंग भगवान श्री हरि विष्णु का प्रिय रंग है।
2. उसके बाद अपने पूजा घर या मंदिर को गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करना चाहिए और फिर भगवान सत्यनारायण की फोटो या मूर्ति स्थापित करनी चाहिए।
3. फिर भगवान सत्यनारायण के सामने हाथ में एक फूल और थोड़ा सा गंगाजल लेकर अधिक मास पूर्णिमा का व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए।
4. अधिक मास पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की विधि विधान पूर्वक पूजा करनी चाहिए और शाम के समय भगवान सत्यनारायण की की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए ।
5. कथा सुनने के बाद भगवान सत्यनारायण को पंजीरी का भोग अवश्य लगाएं। ध्यान रहे पंजीरी में तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल जरूर करें क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय होती है।
6. इसके अलावा अधिक मास पूर्णिमा के दिन आप अपनी श्रद्धा अनुसार किसी निर्धन व्यक्ति या जरूरतमंद को पीले वस्त्र पीला, अनाज या भोजन का दान करें।
7. अधिक मास पूर्णिमा के दिन पितरों के नाम से दान पुण्य करना चाहिए। ऐसा करने से ना केवल आपको पितरों बल्कि भगवान सत्यनारायण का भी विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा।
8. कहते हैं कि अधिक मास पूर्णिमा के दिन पितरों का ध्यान करते हुए ब्राह्मणों को भोजन कराने से जीवन के सभी दुख तकलीफें दूर हो जाती हैं और पितरों का आशीर्वाद बना रहता है।
9. अधिक मास पूर्णिमा के दिन किसी भी पशु या पक्षी को पानी या भोजन कराने से आपके जीवन के रुके हुए कार्य जल्दी पूर्ण हो जाते हैं।
10. अधिक मास पूर्णिमा के दिन किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित करने चाहिए। ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ आपकी इच्छा अवश्य पूरी करते हैं।
11. अधिक मास पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है इसीलिए इस दिन घर में किसी तरह का झगड़ा या कलह ना करें।
12. अधिक मास के दिन किसी भी व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए । खासतौर पर किसी निर्धन या बुजुर्ग व्यक्ति का । इसके साथ ही किसी की निंदा भी नहीं करनी चाहिए ।
13. मान्यता है कि इस दिन किसी भी व्यक्ति को नाखून बाल या दाढ़ी नहीं काटने चाहिए। ऐसा करने से भगवान दुष्ट हो जाते हैं।